Last Updated on: 9th January 2021, 04:06 am
Saphala Ekadashi 2021 / सफला एकादशी 2021 को 9 जनवरी को मनाया जाएगा , जानिये दिन (Day), समय (time) , शुभ मुहूर्त (Muhurat) , कथा (Katha/ Story) और महत्व (Significance) सहित सारी जानकारी। यह साल 2021 की पहली एकादशी है।
एक वर्ष में आने वाली 24 एकादशियों में से पहली एकादशी होती है सफला एकादशी। यह हिंदू कैलेंडर में शुभ दिनों में से एक है जो पौष माह के कृष्ण पक्ष के 11 वें दिन मनाया जाता है। इसे पौष कृष्ण एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
2021 में सफला एकादशी को 9 जनवरी को मनाया जाएगा। सफला शब्द का अर्थ है सफलता और भक्त अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए इस एकादशी व्रत को रखते हैं।
Saphala Ekadashi 2021 Vrat Katha, Muhurat and Significance
सफला एकादशी का इतिहास /History of Saphala Ekadashi
हिंदू कैलेंडर में हर 11 तिथि पर एकादशी का व्रत रखा जाता है और भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं। एकादशी तिथि को बहुत शुभ माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जो लोग इस दिन उपवास रखते हैं वे अपने खाने में गेहूं, मसाले और सब्ज़ियां नहीं खाते।
इस दिन भक्त प्रार्थना करते हैं, उपवास करते हैं और सफला एकादशी कथा सुनते हैं। कुछ भक्त बिना पानी पिए भी उपवास करते हैं। व्रत अगले दिन की सुबह यानी द्वादशी तिथि को तोड़ा जाता है।
जनवरी 2021 की एकादशी की तिथियां / Dates for January Ekadashi in 2021.
आमतौर पर प्रत्येक महीने में दो एकादशी होती हैं लेकिन इस साल फरवरी और नवंबर को छोड़ कर बाकी सभी महीने 2 एकादशी तिथियां होंगी । इस वर्ष में फरवरी और नवंबर के महीने में तीन एकादशी तिथि मनाई जाएगी। जनवरी 2021 की एकादशी की तिथियां नीचे दी गयी हैं
9 जनवरी, 2021 – शनिवार – सफला एकादशी
24 जनवरी, 2021 – रविवार – पौष पुत्रदा एकादशी
सफला एकादशी शुभ मुहूर्त / Saphala Ekadashi Muhurat
सफला एकादशी तिथि और शुरू होने का समय – 08 जनवरी 2021 सुबह 9:40 बजे
एकादशी तिथि और समाप्त होने का समय – 09 जनवरी 2021 शाम 7:15 बजे
सफला एकादशी कथा /Saphala Ekadashi story (katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार बहुत समय पहले महिष्मान नामक एक राजा हुआ करता था। उनका बड़ा बेटा लुम्पक हमेशा बुरे कामों में लिप्त रहता था। इस बात से क्रोधित होकर राजा ने अपने पुत्र को देश निकला दे दिया और लुम्पक को जंगल में रहना पड़ा।
पौष कृष्ण दशमी की एक ठंडी रात को लम्पक को ठंड के कारण नींद नहीं आयी और ठण्ड के कारण वह सुबह बेहोश हो गया। जब बाद में उसे होश आया और भूख लगने के कारण वह जंगल में खाने के लिए फल इकट्ठा करने लगा ।
ऐसा ही जंगल में रहकर वह अपना जीवन व्यतीत करने लगा। एक दिन जो पौष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ा, उसने जंगल से फल इकट्ठा करना शुरू किया और बाद में उन फलों को भगवान विष्णु को प्रसाद रूप में अर्पित कर दिया।
वह उस दिन भोजन नहीं कर सका और ठंड के कारण बाहर ठीक से सो भी नहीं सका। लेकिन अनजाने में उन्होंने पूरे एकादशी के दिन उपवास किया और एकादशी का व्रत पूरा किया जिसके कारण उन्होंने जीवन में अच्छे कर्म करने पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया।
धीरे धीरे उसकी स्तिथि और सुधरने लगी और कुछ समय बाद उसके पिता ने उसे राज्य भी दिया था। कुछ वषों बाद जब लुम्भक के घर एक पुत्र पैदा हुआ। बेटे के बड़े होने पर उसने अपने बेटे को राज्य सौंप दिया और अपना जीवन मोक्ष को समर्पित कर दिया।
सफला एकादशी का महत्व / Significance of Safala Ekadashi
सफला एकादशी अधिक महत्व रखती है क्योंकि यह वर्ष की पहली एकादशी है। यह माना जाता है कि जो कोई भी साफ़ मन और इरादे से व्रत को पूरा करता है उस व्यक्ति को जीवन में सफलता अवश्य प्राप्त होती है।
अगर आप भी एकादशी का व्रत करते हैं तो उचित तरीके से व्रत को मुहूर्त के अनुसार करें और कथा सुने।
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